पंचविंशतिकत्याणभावना: Difference between revisions
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<p> एक व्रत । इसमें अहिंसा आदि महाव्रतों में प्रत्येक महाव्रत की । पाँच-पाँच भावनाएँ होने से पच्चीस भावनाओं को लक्ष्य करके एक उपवास और एक पारणा के क्रम से पच्चीस उपवास और पच्चीस पारणाएं की जाती है । भावनाओं के नाम निम्न प्रकार है—1. सम्यक्त्व भावना 2. विनय भावना 3. ज्ञान भावना 4. शील भावना 5. सत्य भावना 6. श्रुतभावना 7. समिति भावना 8. एकांत भावना 9. गुप्ति भावना 10. धर्मध्यान भावना 11. शुक्लध्यान भावना 12. संक्लेश-निरोध भावना 13. इच्छा-निरोध भावना 14. संवर भावना 15. प्रशस्तयोग भावना 16. संवेग भावना 17. करुणा भावना 18. उद्वेग भावना 19. भोग-निर्वेद भावना 20. संसार-निर्वेद भावना 21. मुक्ति-वैराग्य भावना 22. मोक्ष भावना 23. मैत्री भावना 24. उपेक्षा भावना और 25 प्रमोद भावना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.112-116 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक व्रत । इसमें अहिंसा आदि महाव्रतों में प्रत्येक महाव्रत की । पाँच-पाँच भावनाएँ होने से पच्चीस भावनाओं को लक्ष्य करके एक उपवास और एक पारणा के क्रम से पच्चीस उपवास और पच्चीस पारणाएं की जाती है । भावनाओं के नाम निम्न प्रकार है—1. सम्यक्त्व भावना 2. विनय भावना 3. ज्ञान भावना 4. शील भावना 5. सत्य भावना 6. श्रुतभावना 7. समिति भावना 8. एकांत भावना 9. गुप्ति भावना 10. धर्मध्यान भावना 11. शुक्लध्यान भावना 12. संक्लेश-निरोध भावना 13. इच्छा-निरोध भावना 14. संवर भावना 15. प्रशस्तयोग भावना 16. संवेग भावना 17. करुणा भावना 18. उद्वेग भावना 19. भोग-निर्वेद भावना 20. संसार-निर्वेद भावना 21. मुक्ति-वैराग्य भावना 22. मोक्ष भावना 23. मैत्री भावना 24. उपेक्षा भावना और 25 प्रमोद भावना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.112-116 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
एक व्रत । इसमें अहिंसा आदि महाव्रतों में प्रत्येक महाव्रत की । पाँच-पाँच भावनाएँ होने से पच्चीस भावनाओं को लक्ष्य करके एक उपवास और एक पारणा के क्रम से पच्चीस उपवास और पच्चीस पारणाएं की जाती है । भावनाओं के नाम निम्न प्रकार है—1. सम्यक्त्व भावना 2. विनय भावना 3. ज्ञान भावना 4. शील भावना 5. सत्य भावना 6. श्रुतभावना 7. समिति भावना 8. एकांत भावना 9. गुप्ति भावना 10. धर्मध्यान भावना 11. शुक्लध्यान भावना 12. संक्लेश-निरोध भावना 13. इच्छा-निरोध भावना 14. संवर भावना 15. प्रशस्तयोग भावना 16. संवेग भावना 17. करुणा भावना 18. उद्वेग भावना 19. भोग-निर्वेद भावना 20. संसार-निर्वेद भावना 21. मुक्ति-वैराग्य भावना 22. मोक्ष भावना 23. मैत्री भावना 24. उपेक्षा भावना और 25 प्रमोद भावना । हरिवंशपुराण 34.112-116