प्रश्नव्याकरण: Difference between revisions
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<p> द्वादशांगश्रुत का दसवाँ अंग । इसमें जीवों के सुख-दुख आदि से संबंधित प्रश्नों के उत्तर का निरूपण है । इसमें आक्षेपिणी आदि कथाओं का भी वर्णन किया गया है । इसके पदों की कुल संख्या तेरानवें लाख सोलह हजार है । <span class="GRef"> महापुराण 34.144, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.43 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> द्वादशांगश्रुत का दसवाँ अंग । इसमें जीवों के सुख-दुख आदि से संबंधित प्रश्नों के उत्तर का निरूपण है । इसमें आक्षेपिणी आदि कथाओं का भी वर्णन किया गया है । इसके पदों की कुल संख्या तेरानवें लाख सोलह हजार है । <span class="GRef"> महापुराण 34.144, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.43 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
द्वादशांगश्रुत का दसवाँ अंग । इसमें जीवों के सुख-दुख आदि से संबंधित प्रश्नों के उत्तर का निरूपण है । इसमें आक्षेपिणी आदि कथाओं का भी वर्णन किया गया है । इसके पदों की कुल संख्या तेरानवें लाख सोलह हजार है । महापुराण 34.144, हरिवंशपुराण 10.43