प्रह्लाद: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) उज्जयिनी नगरी के राजा श्रीधर्मा के बलि आदि चार मंत्रियों में चतुर्थ मंत्री । यह तंत्र मार्ग का ज्ञाता था । श्रुतसागर मुनि से विवाद में पराजित होने के कारण इसी मंत्री के साथी बलि नामक मंत्री ने अकंपनाचार्य आदि मुनियों पर उपसर्ग किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 20.4-62 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) उज्जयिनी नगरी के राजा श्रीधर्मा के बलि आदि चार मंत्रियों में चतुर्थ मंत्री । यह तंत्र मार्ग का ज्ञाता था । श्रुतसागर मुनि से विवाद में पराजित होने के कारण इसी मंत्री के साथी बलि नामक मंत्री ने अकंपनाचार्य आदि मुनियों पर उपसर्ग किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 20.4-62 </span></p> | ||
<p id="2">(2) आदित्यपुर नगर का राजा । यह उसकी रानी केतुमती के पुत्र पवनगति का पिता था । इसके पुत्र का अपर नाम पवनंजय था । वरुण के साथ युद्ध होने पर रावण ने इसे अपनी सहायतार्थ आमंत्रित किया था तब इसने रावण की सहायतार्थ अपने पुत्र को भेजा था । इसकी पत्नी केतुमती ने दोष लगाकर अपनी बहू अंजना को गर्भावस्था में घर से निकाल दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15. 6-8, 16.57-74, 17. 3-21 </span></p> | <p id="2">(2) आदित्यपुर नगर का राजा । यह उसकी रानी केतुमती के पुत्र पवनगति का पिता था । इसके पुत्र का अपर नाम पवनंजय था । वरुण के साथ युद्ध होने पर रावण ने इसे अपनी सहायतार्थ आमंत्रित किया था तब इसने रावण की सहायतार्थ अपने पुत्र को भेजा था । इसकी पत्नी केतुमती ने दोष लगाकर अपनी बहू अंजना को गर्भावस्था में घर से निकाल दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15. 6-8, 16.57-74, 17. 3-21 </span></p> | ||
<p id="3">(3) सातवाँ प्रतिनारायण । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.244-245 </span></p> | <p id="3">(3) सातवाँ प्रतिनारायण । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.244-245 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- राजा पद्म का मंत्री -विशेष, देखें बलि ।
- आदित्यपुर का राजा । हनुमान् का बाबा था । ( पद्मपुराण/15/7-8 ) ।
पुराणकोष से
(1) उज्जयिनी नगरी के राजा श्रीधर्मा के बलि आदि चार मंत्रियों में चतुर्थ मंत्री । यह तंत्र मार्ग का ज्ञाता था । श्रुतसागर मुनि से विवाद में पराजित होने के कारण इसी मंत्री के साथी बलि नामक मंत्री ने अकंपनाचार्य आदि मुनियों पर उपसर्ग किया था । हरिवंशपुराण 20.4-62
(2) आदित्यपुर नगर का राजा । यह उसकी रानी केतुमती के पुत्र पवनगति का पिता था । इसके पुत्र का अपर नाम पवनंजय था । वरुण के साथ युद्ध होने पर रावण ने इसे अपनी सहायतार्थ आमंत्रित किया था तब इसने रावण की सहायतार्थ अपने पुत्र को भेजा था । इसकी पत्नी केतुमती ने दोष लगाकर अपनी बहू अंजना को गर्भावस्था में घर से निकाल दिया था । पद्मपुराण 15. 6-8, 16.57-74, 17. 3-21
(3) सातवाँ प्रतिनारायण । पद्मपुराण 20.244-245