फल्गुसेना: Difference between revisions
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<p> दु:षमा काल की अंतिम श्राविका । यह साकेत की निवासिनी होगी । पांचवे दु:षमा काल के साढ़े आठ मास शेष रहने पर कार्तिक मास में कृष्णपक्ष के अंतिम दिन प्रात: बेला और स्वाति नक्षत्र के उदय काल में शरीर त्यागकर प्रथम स्वर्ग में जायगी । इसके साथ वीरांगज मुनि, अग्निल श्रावक और आर्यिका सर्वश्री भी वहीं जायेंगे । <span class="GRef"> महापुराण 76.432-436 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दु:षमा काल की अंतिम श्राविका । यह साकेत की निवासिनी होगी । पांचवे दु:षमा काल के साढ़े आठ मास शेष रहने पर कार्तिक मास में कृष्णपक्ष के अंतिम दिन प्रात: बेला और स्वाति नक्षत्र के उदय काल में शरीर त्यागकर प्रथम स्वर्ग में जायगी । इसके साथ वीरांगज मुनि, अग्निल श्रावक और आर्यिका सर्वश्री भी वहीं जायेंगे । <span class="GRef"> महापुराण 76.432-436 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
दु:षमा काल की अंतिम श्राविका । यह साकेत की निवासिनी होगी । पांचवे दु:षमा काल के साढ़े आठ मास शेष रहने पर कार्तिक मास में कृष्णपक्ष के अंतिम दिन प्रात: बेला और स्वाति नक्षत्र के उदय काल में शरीर त्यागकर प्रथम स्वर्ग में जायगी । इसके साथ वीरांगज मुनि, अग्निल श्रावक और आर्यिका सर्वश्री भी वहीं जायेंगे । महापुराण 76.432-436