बीजसम्यक्त्व: Difference between revisions
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<p> सम्यग्दर्शन के दस भेदों में पाँचवाँ भेद, अपरनाम बीजसम्यक्त्व । इससे बीजपदों को ग्रहण करने और उनके सूक्ष्म अर्थ को सुनने से भव्यजीवों की तत्त्वार्थ में रुचि उत्पन्न होती है । <span class="GRef"> महापुराण 74. 439-440, 444, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.147 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सम्यग्दर्शन के दस भेदों में पाँचवाँ भेद, अपरनाम बीजसम्यक्त्व । इससे बीजपदों को ग्रहण करने और उनके सूक्ष्म अर्थ को सुनने से भव्यजीवों की तत्त्वार्थ में रुचि उत्पन्न होती है । <span class="GRef"> महापुराण 74. 439-440, 444, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.147 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें सम्यक्त्व i/1 ।
पुराणकोष से
सम्यग्दर्शन के दस भेदों में पाँचवाँ भेद, अपरनाम बीजसम्यक्त्व । इससे बीजपदों को ग्रहण करने और उनके सूक्ष्म अर्थ को सुनने से भव्यजीवों की तत्त्वार्थ में रुचि उत्पन्न होती है । महापुराण 74. 439-440, 444, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.147