बंधुमती: Difference between revisions
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<p id="1">(1) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर के सेठ श्वेतवाहन की भार्या । यह शंख पुत्र की जननी और इसी नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की बड़ी बहिन थी । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन किया था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 260 -266 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 141 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर के सेठ श्वेतवाहन की भार्या । यह शंख पुत्र की जननी और इसी नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की बड़ी बहिन थी । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन किया था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 260 -266 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 141 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयपुर नगर निवासी मधुषेण वैश्य की भार्या और बंधुयशा की जननी । इसके पति का अपर नाम बंधुषेण था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 363-364, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.48 </span></p> | <p id="2">(2) विजयपुर नगर निवासी मधुषेण वैश्य की भार्या और बंधुयशा की जननी । इसके पति का अपर नाम बंधुषेण था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 363-364, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.48 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक आर्यिका । हनुमान् के दीक्षित होने के पश्चात् उसकी रानियों ने इसी आर्यिका से दीक्षा की थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 113.40-42 </span></p> | <p id="3">(3) एक आर्यिका । हनुमान् के दीक्षित होने के पश्चात् उसकी रानियों ने इसी आर्यिका से दीक्षा की थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 113.40-42 </span></p> | ||
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<p id="5">(5) कामदत्त सेठ के वंश में उत्पन्न कामदेव सेठ की पुत्री । किसी निमित्तज्ञानी ने कामदत्त सेठ द्वारा बनवाये कामदेव-मंदिर के द्वार खोलने वाले को इसका पति होना बताया था । वसुदेव ने इस मंदिर के द्वार खोलकर जिनेंद्र की अर्चना की थी । भविष्यवाणी के अनुसार कामदेव ने प्रसन्न होकर यह कन्या वसुदेव को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 29. 1-11 </span></p> | <p id="5">(5) कामदत्त सेठ के वंश में उत्पन्न कामदेव सेठ की पुत्री । किसी निमित्तज्ञानी ने कामदत्त सेठ द्वारा बनवाये कामदेव-मंदिर के द्वार खोलने वाले को इसका पति होना बताया था । वसुदेव ने इस मंदिर के द्वार खोलकर जिनेंद्र की अर्चना की थी । भविष्यवाणी के अनुसार कामदेव ने प्रसन्न होकर यह कन्या वसुदेव को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 29. 1-11 </span></p> | ||
<p id="6">(6) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ के भाई रेवत की पुत्री । रेवती इसकी बड़ी बहिन और सीता तथा राजीवनेत्रा छोटी बहिनें थी । इसका विवाह कृष्ण के भाई बलदेव से हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 44. 37-41 </span></p> | <p id="6">(6) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ के भाई रेवत की पुत्री । रेवती इसकी बड़ी बहिन और सीता तथा राजीवनेत्रा छोटी बहिनें थी । इसका विवाह कृष्ण के भाई बलदेव से हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 44. 37-41 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
(1) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर के सेठ श्वेतवाहन की भार्या । यह शंख पुत्र की जननी और इसी नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की बड़ी बहिन थी । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन किया था । महापुराण 71. 260 -266 हरिवंशपुराण 33. 141
(2) विजयपुर नगर निवासी मधुषेण वैश्य की भार्या और बंधुयशा की जननी । इसके पति का अपर नाम बंधुषेण था । महापुराण 71. 363-364, हरिवंशपुराण 60.48
(3) एक आर्यिका । हनुमान् के दीक्षित होने के पश्चात् उसकी रानियों ने इसी आर्यिका से दीक्षा की थी । पद्मपुराण 113.40-42
(4) भरत की भाभी । महापुराण 83. 94
(5) कामदत्त सेठ के वंश में उत्पन्न कामदेव सेठ की पुत्री । किसी निमित्तज्ञानी ने कामदत्त सेठ द्वारा बनवाये कामदेव-मंदिर के द्वार खोलने वाले को इसका पति होना बताया था । वसुदेव ने इस मंदिर के द्वार खोलकर जिनेंद्र की अर्चना की थी । भविष्यवाणी के अनुसार कामदेव ने प्रसन्न होकर यह कन्या वसुदेव को दी थी । हरिवंशपुराण 29. 1-11
(6) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ के भाई रेवत की पुत्री । रेवती इसकी बड़ी बहिन और सीता तथा राजीवनेत्रा छोटी बहिनें थी । इसका विवाह कृष्ण के भाई बलदेव से हुआ था । महापुराण 44. 37-41