भोगिनी: Difference between revisions
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<p id="1">(1) एक विद्या । यह स्मरतरंगिणी शय्या पर सोये हुए मनुष्य को उसके इष्ट से मिला देती है । नंदाढ्य को जीवंधर से मिलाने के लिए गंधर्वदत्ता ने इसी विद्या का प्रयोग किया था । <span class="GRef"> महापुराण 75. 432-436 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) एक विद्या । यह स्मरतरंगिणी शय्या पर सोये हुए मनुष्य को उसके इष्ट से मिला देती है । नंदाढ्य को जीवंधर से मिलाने के लिए गंधर्वदत्ता ने इसी विद्या का प्रयोग किया था । <span class="GRef"> महापुराण 75. 432-436 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पार्श्वनाथ की छत्रधारिणी देवी पद्मावती । <span class="GRef"> महापुराण 73.1 </span></p> | <p id="2">(2) पार्श्वनाथ की छत्रधारिणी देवी पद्मावती । <span class="GRef"> महापुराण 73.1 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
(1) एक विद्या । यह स्मरतरंगिणी शय्या पर सोये हुए मनुष्य को उसके इष्ट से मिला देती है । नंदाढ्य को जीवंधर से मिलाने के लिए गंधर्वदत्ता ने इसी विद्या का प्रयोग किया था । महापुराण 75. 432-436
(2) पार्श्वनाथ की छत्रधारिणी देवी पद्मावती । महापुराण 73.1