मध्यमवृत्ति: Difference between revisions
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<p> कुमार्ग की ओर जाने में रोक लगाकर इंद्रियों को वश में रखने के लिए व्यवहृत मुनियों की आहारवृत्ति । इसमें न पौष्टिक आहार ग्रहण किया जाता है और न ऐसा आहार ग्रहण किया जाता है जिससे कि काय कृश हो जाय अपितु ऐसा आहार लिया जाता है जिससे इंद्रियां वश में रह सके । <span class="GRef"> महापुराण 20.5-6 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> कुमार्ग की ओर जाने में रोक लगाकर इंद्रियों को वश में रखने के लिए व्यवहृत मुनियों की आहारवृत्ति । इसमें न पौष्टिक आहार ग्रहण किया जाता है और न ऐसा आहार ग्रहण किया जाता है जिससे कि काय कृश हो जाय अपितु ऐसा आहार लिया जाता है जिससे इंद्रियां वश में रह सके । <span class="GRef"> महापुराण 20.5-6 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
कुमार्ग की ओर जाने में रोक लगाकर इंद्रियों को वश में रखने के लिए व्यवहृत मुनियों की आहारवृत्ति । इसमें न पौष्टिक आहार ग्रहण किया जाता है और न ऐसा आहार ग्रहण किया जाता है जिससे कि काय कृश हो जाय अपितु ऐसा आहार लिया जाता है जिससे इंद्रियां वश में रह सके । महापुराण 20.5-6