मनक: Difference between revisions
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<p> शर्कराप्रभा पृथिवी के तृतीय प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ छत्तीस, विदिशाओं में एक सौ बत्तीस कुल दो सौ अड़सठ श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.107, </span></p> | <div class="HindiText"> <p> शर्कराप्रभा पृथिवी के तृतीय प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ छत्तीस, विदिशाओं में एक सौ बत्तीस कुल दो सौ अड़सठ श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.107, </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
द्वितीय नरक का तृतीय या चतुर्थ पटल–देखें नरक - 5.11।
पुराणकोष से
शर्कराप्रभा पृथिवी के तृतीय प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ छत्तीस, विदिशाओं में एक सौ बत्तीस कुल दो सौ अड़सठ श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । हरिवंशपुराण 4.107,