महाकच्छ: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) पूर्व विदेहक्षेत्र का एक जनपद । <span class="GRef"> महापुराण 5.193 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पूर्व विदेहक्षेत्र का एक जनपद । <span class="GRef"> महापुराण 5.193 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक राजा । ये राजा कच्छ के अनुज, यशस्वती और सुनंदा के भाई और वृषभदेव के साले थे । विनमि विद्याधर इनके पिता थे । कच्छ और महाकच्छ वृषभदेव के साथ मुनि होकर छ: मास के भीतर क्षुधा आदि कठिन परीषहों को न सह सके और तप से भ्रष्ट हो गये । पश्चात् पुन: दीक्षा लेकर ये वृषभदेव के तिहत्तरवें गणधर हुए । <span class="GRef"> महापुराण 15.70, 18.91-92, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.104, 12.68 </span></p> | <p id="2">(2) एक राजा । ये राजा कच्छ के अनुज, यशस्वती और सुनंदा के भाई और वृषभदेव के साले थे । विनमि विद्याधर इनके पिता थे । कच्छ और महाकच्छ वृषभदेव के साथ मुनि होकर छ: मास के भीतर क्षुधा आदि कठिन परीषहों को न सह सके और तप से भ्रष्ट हो गये । पश्चात् पुन: दीक्षा लेकर ये वृषभदेव के तिहत्तरवें गणधर हुए । <span class="GRef"> महापुराण 15.70, 18.91-92, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.104, 12.68 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
पूर्व विदेह का एक क्षेत्र–देखें लोक - 7।
पुराणकोष से
(1) पूर्व विदेहक्षेत्र का एक जनपद । महापुराण 5.193
(2) एक राजा । ये राजा कच्छ के अनुज, यशस्वती और सुनंदा के भाई और वृषभदेव के साले थे । विनमि विद्याधर इनके पिता थे । कच्छ और महाकच्छ वृषभदेव के साथ मुनि होकर छ: मास के भीतर क्षुधा आदि कठिन परीषहों को न सह सके और तप से भ्रष्ट हो गये । पश्चात् पुन: दीक्षा लेकर ये वृषभदेव के तिहत्तरवें गणधर हुए । महापुराण 15.70, 18.91-92, हरिवंशपुराण 9.104, 12.68