मार्कंडेय: Difference between revisions
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<p> भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के हरिवंशी राजा प्रभंजन और रानी मृकंडु का पुत्र । इसका विवाह इसी देश में वस्वालय नगर के राजा वज्रचाप की पुत्री विद्युन्माला से हुआ था । चित्रांगद देव ने इसे मारना चाहा था किंतु सूर्यप्रभ देव के समझाने पर उसने इसे सपत्नीक चंपापुर के वन में छोड़ दिया था । चंपापुर का राजा चंद्रकीर्ति निस्संतान था । उसके मर जाने पर वहाँ मंत्रियों ने इसे अपना राजा बनाया था । मूलत: इसका नाम सिंहकेतु था किंतु चंपापुर की प्रजा इसे मृकंडु का पुत्र जानकर इस नाम से पुकारती थी । <span class="GRef"> महापुराण 70.74-90 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के हरिवंशी राजा प्रभंजन और रानी मृकंडु का पुत्र । इसका विवाह इसी देश में वस्वालय नगर के राजा वज्रचाप की पुत्री विद्युन्माला से हुआ था । चित्रांगद देव ने इसे मारना चाहा था किंतु सूर्यप्रभ देव के समझाने पर उसने इसे सपत्नीक चंपापुर के वन में छोड़ दिया था । चंपापुर का राजा चंद्रकीर्ति निस्संतान था । उसके मर जाने पर वहाँ मंत्रियों ने इसे अपना राजा बनाया था । मूलत: इसका नाम सिंहकेतु था किंतु चंपापुर की प्रजा इसे मृकंडु का पुत्र जानकर इस नाम से पुकारती थी । <span class="GRef"> महापुराण 70.74-90 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
भरतक्षेत्र के हरिवर्ष देश में भोगपुर नगर के हरिवंशी राजा प्रभंजन और रानी मृकंडु का पुत्र । इसका विवाह इसी देश में वस्वालय नगर के राजा वज्रचाप की पुत्री विद्युन्माला से हुआ था । चित्रांगद देव ने इसे मारना चाहा था किंतु सूर्यप्रभ देव के समझाने पर उसने इसे सपत्नीक चंपापुर के वन में छोड़ दिया था । चंपापुर का राजा चंद्रकीर्ति निस्संतान था । उसके मर जाने पर वहाँ मंत्रियों ने इसे अपना राजा बनाया था । मूलत: इसका नाम सिंहकेतु था किंतु चंपापुर की प्रजा इसे मृकंडु का पुत्र जानकर इस नाम से पुकारती थी । महापुराण 70.74-90