मंगला: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
एक विद्या (देखें [[ विद्या ]])। | एक विद्या (देखें [[ विद्या ]])। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) परमकल्याणक मंत्रों से परिस्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.70 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) परमकल्याणक मंत्रों से परिस्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.70 </span></p> | ||
<p id="2">(2) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र की अयोध्या नगरी के राजा मेघरथ की महादेवी और तीर्थंकर सुमतिनाथ की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 51. 19-20, 23-24 </span></p> | <p id="2">(2) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र की अयोध्या नगरी के राजा मेघरथ की महादेवी और तीर्थंकर सुमतिनाथ की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 51. 19-20, 23-24 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:56, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
एक विद्या (देखें विद्या )।
पुराणकोष से
(1) परमकल्याणक मंत्रों से परिस्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । हरिवंशपुराण 22.70
(2) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र की अयोध्या नगरी के राजा मेघरथ की महादेवी और तीर्थंकर सुमतिनाथ की जननी । महापुराण 51. 19-20, 23-24