मंत्रशक्ति: Difference between revisions
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<p> शत्रु को जीतने के लिए आवश्यक तीन शक्तियों-मंत्र, उत्साह और प्रभु में प्रथम शक्ति । इसके द्वारा सहायकों और साधनों के उपाय, देश-विभाग, काल-विभाग और बाधक कारणों का प्रतिकार इन पाँच अंगों का निर्णय किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 68.60, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.201 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> शत्रु को जीतने के लिए आवश्यक तीन शक्तियों-मंत्र, उत्साह और प्रभु में प्रथम शक्ति । इसके द्वारा सहायकों और साधनों के उपाय, देश-विभाग, काल-विभाग और बाधक कारणों का प्रतिकार इन पाँच अंगों का निर्णय किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 68.60, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.201 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
शत्रु को जीतने के लिए आवश्यक तीन शक्तियों-मंत्र, उत्साह और प्रभु में प्रथम शक्ति । इसके द्वारा सहायकों और साधनों के उपाय, देश-विभाग, काल-विभाग और बाधक कारणों का प्रतिकार इन पाँच अंगों का निर्णय किया जाता है । महापुराण 68.60, हरिवंशपुराण 8.201