मंदुरा: Difference between revisions
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<p> अश्वशाला । चक्रवर्ती भरतेश के काल में ये तालाबों के पास निर्मित होती थी । इसके प्रांगण में चरने योग्य घास भी रहता था । सवारी के लिए व्यवहृत घोड़े यहाँ रहते थे । इनमें घोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी देह पर अंगराग का लेप किया जाता था । <span class="GRef"> महापुराण 29.111, 116 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अश्वशाला । चक्रवर्ती भरतेश के काल में ये तालाबों के पास निर्मित होती थी । इसके प्रांगण में चरने योग्य घास भी रहता था । सवारी के लिए व्यवहृत घोड़े यहाँ रहते थे । इनमें घोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी देह पर अंगराग का लेप किया जाता था । <span class="GRef"> महापुराण 29.111, 116 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
अश्वशाला । चक्रवर्ती भरतेश के काल में ये तालाबों के पास निर्मित होती थी । इसके प्रांगण में चरने योग्य घास भी रहता था । सवारी के लिए व्यवहृत घोड़े यहाँ रहते थे । इनमें घोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी देह पर अंगराग का लेप किया जाता था । महापुराण 29.111, 116