रसाधिकांभोद: Difference between revisions
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<p> रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 76.454, 458 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 76.454, 458 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । महापुराण 76.454, 458