लक्ष्मीमती: Difference between revisions
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रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी−देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]। | रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी−देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]। | ||
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<p id="1"> (1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 43. 78-79, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.179 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 43. 78-79, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.179 </span></p> | ||
<p id="2">(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 20. 12-14 </span></p> | <p id="2">(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 20. 12-14 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निंदा के फलस्वरूप यह मुनिनिंदा के सातवें दिन हो उदुंबर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गंध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 317-341, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.26-31 </span></p> | <p id="3">(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निंदा के फलस्वरूप यह मुनिनिंदा के सातवें दिन हो उदुंबर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गंध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 317-341, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.26-31 </span></p> | ||
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<p id="8">(8) विदेहक्षेत्र में पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रदंत की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 6.58-60 </span></p> | <p id="8">(8) विदेहक्षेत्र में पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रदंत की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 6.58-60 </span></p> | ||
<p id="6">(6) वाराणसी नगरी के राजा अकंपन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29 </span></p> | <p id="6">(6) वाराणसी नगरी के राजा अकंपन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी−देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । महापुराण 43. 78-79, हरिवंशपुराण 9.179
(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 20. 12-14
(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निंदा के फलस्वरूप यह मुनिनिंदा के सातवें दिन हो उदुंबर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गंध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । महापुराण 71. 317-341, हरिवंशपुराण 60.26-31
(4) पांडव-युधिष्ठिर की रानी । इसका अपर नाम लक्ष्मीमति था । हरिवंशपुराण 47.18, पांडवपुराण 16.62
(5) रुचकगिरि की दक्षिण दिशा में स्थित रुचककूट की रहने वाली एक देवी । हरिवंशपुराण 5.701 देखें रुचकवर
(6) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा क्षेमंकर के पुत्र वज्रायुध की रानी । यह सहस्रायुध की जननी थी । महापुराण 63. 37-39, 44-45
(7) भरतक्षेत्र में चक्रपुर नगर के राजा वरसेन की रानी । यह नारायण पुंडरीक की जननी थी । महापुराण 65.174-177
(8) विदेहक्षेत्र में पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रदंत की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । महापुराण 6.58-60
(6) वाराणसी नगरी के राजा अकंपन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29