लोकस्तूप: Difference between revisions
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<p> समवसरण में विजयांगण के चारों कोनों में रहने वाले चार स्तूप । ये एक योजन ऊँचे होते हैं । इनका आकार नीचे वेत्रासन के समान, मध्य में झालर के समान होता है । इनमें लोक की रचना दर्पणतल के समान दिखाई देती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.5, 94-96 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> समवसरण में विजयांगण के चारों कोनों में रहने वाले चार स्तूप । ये एक योजन ऊँचे होते हैं । इनका आकार नीचे वेत्रासन के समान, मध्य में झालर के समान होता है । इनमें लोक की रचना दर्पणतल के समान दिखाई देती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.5, 94-96 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
समवसरण में विजयांगण के चारों कोनों में रहने वाले चार स्तूप । ये एक योजन ऊँचे होते हैं । इनका आकार नीचे वेत्रासन के समान, मध्य में झालर के समान होता है । इनमें लोक की रचना दर्पणतल के समान दिखाई देती है । हरिवंशपुराण 57.5, 94-96