विक्रांत: Difference between revisions
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प्रथम नरक का 13वाँ पटल–देखें [[ नरक#5.11 | नरक - 5.11]]। | प्रथम नरक का 13वाँ पटल–देखें [[ नरक#5.11 | नरक - 5.11]]। | ||
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<p id="1">(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50. 85, 132 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50. 85, 132 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इंद्रक बिलों में तेरहवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102 </span></p> | <p id="2">(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इंद्रक बिलों में तेरहवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
प्रथम नरक का 13वाँ पटल–देखें नरक - 5.11।
पुराणकोष से
(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । हरिवंशपुराण 50. 85, 132
(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इंद्रक बिलों में तेरहवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102