विपरीतमिथ्यात्व: Difference between revisions
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<p> मिथ्यात्व के पांच भेदों में चौथा भेद । इससे ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का यथार्थ स्वरूप ज्ञात नहीं होकर विपरीत स्वरूप प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 62. 297, 301 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> मिथ्यात्व के पांच भेदों में चौथा भेद । इससे ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का यथार्थ स्वरूप ज्ञात नहीं होकर विपरीत स्वरूप प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 62. 297, 301 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
मिथ्यात्व के पांच भेदों में चौथा भेद । इससे ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का यथार्थ स्वरूप ज्ञात नहीं होकर विपरीत स्वरूप प्राप्त होता है । महापुराण 62. 297, 301