वीरक: Difference between revisions
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<p> जंबूद्वीप के वत्स देश की कौशांबी नगरी का एक वैश्य । वनमाला इसकी स्त्री थी । राजा सुमुख ने इसकी स्त्री का अप<span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>ण करके उसे अपनी पत्नी बनाया था । यह मरकर-तप के प्रभाव से देव हुआ । इस पर्याय में इसने अवधिज्ञान से पूर्वभव में बैरी सुमुख कौ विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के हरिपुर नगर में उत्पन्न हुआ जाना । इसने सुमुख के जीव-हरिक्षेत्र के विद्याधर को वहाँ से लाकर भरतक्षेत्र में छोड़ा था । इसका अपर नाम वीरदत्त था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21, 2-6, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span> 14.1-2, 61 देखें [[ वीरदत्त#1 | वीरदत्त - 1]]</p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप के वत्स देश की कौशांबी नगरी का एक वैश्य । वनमाला इसकी स्त्री थी । राजा सुमुख ने इसकी स्त्री का अप<span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>ण करके उसे अपनी पत्नी बनाया था । यह मरकर-तप के प्रभाव से देव हुआ । इस पर्याय में इसने अवधिज्ञान से पूर्वभव में बैरी सुमुख कौ विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के हरिपुर नगर में उत्पन्न हुआ जाना । इसने सुमुख के जीव-हरिक्षेत्र के विद्याधर को वहाँ से लाकर भरतक्षेत्र में छोड़ा था । इसका अपर नाम वीरदत्त था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21, 2-6, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span> 14.1-2, 61 देखें [[ वीरदत्त#1 | वीरदत्त - 1]]</p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
जंबूद्वीप के वत्स देश की कौशांबी नगरी का एक वैश्य । वनमाला इसकी स्त्री थी । राजा सुमुख ने इसकी स्त्री का अप हरिवंशपुराण ण करके उसे अपनी पत्नी बनाया था । यह मरकर-तप के प्रभाव से देव हुआ । इस पर्याय में इसने अवधिज्ञान से पूर्वभव में बैरी सुमुख कौ विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के हरिपुर नगर में उत्पन्न हुआ जाना । इसने सुमुख के जीव-हरिक्षेत्र के विद्याधर को वहाँ से लाकर भरतक्षेत्र में छोड़ा था । इसका अपर नाम वीरदत्त था । पद्मपुराण 21, 2-6, हरिवंशपुराण 14.1-2, 61 देखें वीरदत्त - 1