वीर्यप्रवादपूर्व: Difference between revisions
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<p> अंग-प्रविष्ट-श्रुतज्ञान के चौदह पूर्वों में तीसरा पूर्व । इसने सत्तर लाख पदों में अतिशय पराक्रमी सत्पुरुषों के पराक्रम का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.98, 10.88 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अंग-प्रविष्ट-श्रुतज्ञान के चौदह पूर्वों में तीसरा पूर्व । इसने सत्तर लाख पदों में अतिशय पराक्रमी सत्पुरुषों के पराक्रम का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.98, 10.88 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
अंग-प्रविष्ट-श्रुतज्ञान के चौदह पूर्वों में तीसरा पूर्व । इसने सत्तर लाख पदों में अतिशय पराक्रमी सत्पुरुषों के पराक्रम का वर्णन है । हरिवंशपुराण 2.98, 10.88