वैश्वानर: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
अपर नाम विशालनयन था । चह चतुर्थ रुद्र हुए हैं–देखें [[ शलाका पुरुष#7 | शलाका पुरुष - 7 ]]। | अपर नाम विशालनयन था । चह चतुर्थ रुद्र हुए हैं–देखें [[ शलाका पुरुष#7 | शलाका पुरुष - 7 ]]। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) कुरुवंशी एक राजा । इसे राज्य राजा विश्व से मिला था । इसके पश्चात् विश्वकेतु राजा हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.17 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कुरुवंशी एक राजा । इसे राज्य राजा विश्व से मिला था । इसके पश्चात् विश्वकेतु राजा हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.17 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विद्याधरों की एक जाति । इस जाति के विद्याधर विद्याबल वाले होते हैं तथा देवों के समान क्रीड़ाएं करते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.119 </span></p> | <p id="2">(2) विद्याधरों की एक जाति । इस जाति के विद्याधर विद्याबल वाले होते हैं तथा देवों के समान क्रीड़ाएं करते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.119 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
अपर नाम विशालनयन था । चह चतुर्थ रुद्र हुए हैं–देखें शलाका पुरुष - 7 ।
पुराणकोष से
(1) कुरुवंशी एक राजा । इसे राज्य राजा विश्व से मिला था । इसके पश्चात् विश्वकेतु राजा हुआ । हरिवंशपुराण 45.17
(2) विद्याधरों की एक जाति । इस जाति के विद्याधर विद्याबल वाले होते हैं तथा देवों के समान क्रीड़ाएं करते हैं । पद्मपुराण 7.119