शब्दानुपात: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/31/639/10 </span><span class="SanskritText">व्यापारकरान्पुरुषान्प्रत्यभ्युत्कात्सिकादिकरणं शब्दानुपात:।</span><span class="HindiText">=जो पुरुष किसी उद्योग में जुटे हैं उन्हें उद्देश्य कर घांसना आदि शब्दानुपात है। (देशव्रत के अतिचार के प्रकरण में), (<span class="GRef"> राजवार्तिक/7/31/3/556/6 </span>)।</span> | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/31/639/10 </span><span class="SanskritText">व्यापारकरान्पुरुषान्प्रत्यभ्युत्कात्सिकादिकरणं शब्दानुपात:।</span><span class="HindiText">=जो पुरुष किसी उद्योग में जुटे हैं उन्हें उद्देश्य कर घांसना आदि शब्दानुपात है। (देशव्रत के अतिचार के प्रकरण में), (<span class="GRef"> राजवार्तिक/7/31/3/556/6 </span>)।</span> | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> देशव्रत के पाँच अतिचारों में चौथा अतीचार । निश्चित मर्यादा के बाहर अपना शब्द भेजना या बातचीत करना शब्दानुपात कहलाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.178 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> देशव्रत के पाँच अतिचारों में चौथा अतीचार । निश्चित मर्यादा के बाहर अपना शब्द भेजना या बातचीत करना शब्दानुपात कहलाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.178 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/31/639/10 व्यापारकरान्पुरुषान्प्रत्यभ्युत्कात्सिकादिकरणं शब्दानुपात:।=जो पुरुष किसी उद्योग में जुटे हैं उन्हें उद्देश्य कर घांसना आदि शब्दानुपात है। (देशव्रत के अतिचार के प्रकरण में), ( राजवार्तिक/7/31/3/556/6 )।
पुराणकोष से
देशव्रत के पाँच अतिचारों में चौथा अतीचार । निश्चित मर्यादा के बाहर अपना शब्द भेजना या बातचीत करना शब्दानुपात कहलाता है । हरिवंशपुराण 58.178