शांतिमति: Difference between revisions
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<p> जंबूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के शुक्रप्रभ नगर के राजा वायुवेग तथा रानी सुकांता की पुत्री । इसने मुनिसागर पर्वत पर विद्या सिद्ध की थी । राजा वज्रायुध से अपना पूर्वभव सुनकर यह संसार से विरक्त हो गयी और इसने सुलक्षणा आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । अंत में यह संन्यासमरण कर ऐशान स्वर्ग में देव हुई । <span class="GRef"> महापुराण 63.91-95, 111-113 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के शुक्रप्रभ नगर के राजा वायुवेग तथा रानी सुकांता की पुत्री । इसने मुनिसागर पर्वत पर विद्या सिद्ध की थी । राजा वज्रायुध से अपना पूर्वभव सुनकर यह संसार से विरक्त हो गयी और इसने सुलक्षणा आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । अंत में यह संन्यासमरण कर ऐशान स्वर्ग में देव हुई । <span class="GRef"> महापुराण 63.91-95, 111-113 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
जंबूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के शुक्रप्रभ नगर के राजा वायुवेग तथा रानी सुकांता की पुत्री । इसने मुनिसागर पर्वत पर विद्या सिद्ध की थी । राजा वज्रायुध से अपना पूर्वभव सुनकर यह संसार से विरक्त हो गयी और इसने सुलक्षणा आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । अंत में यह संन्यासमरण कर ऐशान स्वर्ग में देव हुई । महापुराण 63.91-95, 111-113