शिक्षा: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"><span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका/67/194/6 </span>शिक्षाश्रुतस्य अध्ययनमिह शिक्षाशब्देनोच्यते। जिणवयणं कलुसहरं अहो य रत्ती य पढिदव्वमिदि।</span> = <span class="HindiText">शास्त्राध्ययन करना यह शिक्षा शब्द का अर्थ है। जिनेश्वर का शास्त्र पाप हरने में निपुण है अत: उसको दिनरात पढ़ना चाहिए।</span> | <span class="SanskritText"><span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका/67/194/6 </span>शिक्षाश्रुतस्य अध्ययनमिह शिक्षाशब्देनोच्यते। जिणवयणं कलुसहरं अहो य रत्ती य पढिदव्वमिदि।</span> = <span class="HindiText">शास्त्राध्ययन करना यह शिक्षा शब्द का अर्थ है। जिनेश्वर का शास्त्र पाप हरने में निपुण है अत: उसको दिनरात पढ़ना चाहिए।</span> | ||
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<p> हिताहित का विवेक । यह विनय-संपत्ति से प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 31.2-3 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> हिताहित का विवेक । यह विनय-संपत्ति से प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 31.2-3 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/67/194/6 शिक्षाश्रुतस्य अध्ययनमिह शिक्षाशब्देनोच्यते। जिणवयणं कलुसहरं अहो य रत्ती य पढिदव्वमिदि। = शास्त्राध्ययन करना यह शिक्षा शब्द का अर्थ है। जिनेश्वर का शास्त्र पाप हरने में निपुण है अत: उसको दिनरात पढ़ना चाहिए।
पुराणकोष से
हिताहित का विवेक । यह विनय-संपत्ति से प्राप्त होता है । महापुराण 31.2-3