सत्कारपुरस्कारपरीषहजय: Difference between revisions
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<p> एक परीषह । इसमें पूजा, प्रशंसा, आमंत्रण आदर आदि के न होने पर हृदय में कुविचारों को स्थान नहीं रहता । सत्कार और पुरस्कार के होने अथवा नहीं होने में हर्ष-विषाद नहीं किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 36.126 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक परीषह । इसमें पूजा, प्रशंसा, आमंत्रण आदर आदि के न होने पर हृदय में कुविचारों को स्थान नहीं रहता । सत्कार और पुरस्कार के होने अथवा नहीं होने में हर्ष-विषाद नहीं किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 36.126 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
एक परीषह । इसमें पूजा, प्रशंसा, आमंत्रण आदर आदि के न होने पर हृदय में कुविचारों को स्थान नहीं रहता । सत्कार और पुरस्कार के होने अथवा नहीं होने में हर्ष-विषाद नहीं किया जाता है । महापुराण 36.126