सद्वेद्यास्रव: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> सातावेदनीय कर्म के आस्रव । यह समस्त प्राणियों पर दया करना, व्रती जनों पर अनुराग रखना, सरागसंयम का पालन करना, दान, क्षमा, शौच, अर्हंत की पूजा और बाल तथा वृद्ध तपस्वियों की वैयावृत्ति आदि से होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.95 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सातावेदनीय कर्म के आस्रव । यह समस्त प्राणियों पर दया करना, व्रती जनों पर अनुराग रखना, सरागसंयम का पालन करना, दान, क्षमा, शौच, अर्हंत की पूजा और बाल तथा वृद्ध तपस्वियों की वैयावृत्ति आदि से होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.95 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
सातावेदनीय कर्म के आस्रव । यह समस्त प्राणियों पर दया करना, व्रती जनों पर अनुराग रखना, सरागसंयम का पालन करना, दान, क्षमा, शौच, अर्हंत की पूजा और बाल तथा वृद्ध तपस्वियों की वैयावृत्ति आदि से होता है । हरिवंशपुराण 58.95