सहस्रशीर्ष: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25,121 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25,121 </span></p> | ||
<p id="2">(2) धातकीखंड द्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में हुआ एक राजा । इसने वन में किसी केवली से अपने दोनों सेवकों के साथ दीक्षा ले ली थी । दोनों सेवक तप कर स्वर्ग गये और इसने मोक्ष प्राप्त किया । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 128-132 </span></p> | <p id="2">(2) धातकीखंड द्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में हुआ एक राजा । इसने वन में किसी केवली से अपने दोनों सेवकों के साथ दीक्षा ले ली थी । दोनों सेवक तप कर स्वर्ग गये और इसने मोक्ष प्राप्त किया । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 128-132 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25,121
(2) धातकीखंड द्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में हुआ एक राजा । इसने वन में किसी केवली से अपने दोनों सेवकों के साथ दीक्षा ले ली थी । दोनों सेवक तप कर स्वर्ग गये और इसने मोक्ष प्राप्त किया । पद्मपुराण 5. 128-132