सिंह: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक वानर कुमार । यह विद्यासाधना में रत रावण को कुपित करने की भावना से लंका गया था <span class="GRef"> पद्मपुराण 70.15, 17 </span></p> | <p id="2">(2) एक वानर कुमार । यह विद्यासाधना में रत रावण को कुपित करने की भावना से लंका गया था <span class="GRef"> पद्मपुराण 70.15, 17 </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर के गर्भ में आने के समय उनकी माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में तीसरा स्वप्न । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.12-14 </span></p> | <p id="3">(3) तीर्थंकर के गर्भ में आने के समय उनकी माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में तीसरा स्वप्न । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.12-14 </span></p> | ||
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<p id="6">(6) राजा वसुदेव तथा रानी नीलयशा का ज्येष्ठ पुत्र । मतंगज इसका छोटा भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.57 </span></p> | <p id="6">(6) राजा वसुदेव तथा रानी नीलयशा का ज्येष्ठ पुत्र । मतंगज इसका छोटा भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.57 </span></p> | ||
<p id="7">(7) भीमकूट पर्वत के पास रहने वाला भीलों का राजा । यह भयंकर पल्ली (भीलों का निवास स्थान) का स्वामी था । कालकभील ने चंदना इसे ही सौंपी थी । यह प्रथम तो चंदना को देखकर उस पर मोहित हुआ, किंतु माता के कुपित होने पर इसने चंदना अपने मित्र मित्रवीर को दी और वह उसे सेठ वृषभदत्त के पास ले गया । <span class="GRef"> महापुराण 75.45-50 </span></p> | <p id="7">(7) भीमकूट पर्वत के पास रहने वाला भीलों का राजा । यह भयंकर पल्ली (भीलों का निवास स्थान) का स्वामी था । कालकभील ने चंदना इसे ही सौंपी थी । यह प्रथम तो चंदना को देखकर उस पर मोहित हुआ, किंतु माता के कुपित होने पर इसने चंदना अपने मित्र मित्रवीर को दी और वह उसे सेठ वृषभदत्त के पास ले गया । <span class="GRef"> महापुराण 75.45-50 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
एक ग्रह-देखें ग्रह ।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में विद्यमान उन्नीसवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22.87
(2) एक वानर कुमार । यह विद्यासाधना में रत रावण को कुपित करने की भावना से लंका गया था पद्मपुराण 70.15, 17
(3) तीर्थंकर के गर्भ में आने के समय उनकी माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में तीसरा स्वप्न । पद्मपुराण 21.12-14
(4) रावण का पक्षधर एक योद्धा । इसने गजरथ पर बैठकर राम की सेना से युद्ध किया था । पद्मपुराण 57.57
(5) मेघदल नगर का राजा । इसकी रानी कनकमेखला और पुत्री कनकावती थी । पांडव भीम ने इसकी पुत्री को विवाहा था । हरिवंशपुराण 46. 14-16
(6) राजा वसुदेव तथा रानी नीलयशा का ज्येष्ठ पुत्र । मतंगज इसका छोटा भाई था । हरिवंशपुराण 48.57
(7) भीमकूट पर्वत के पास रहने वाला भीलों का राजा । यह भयंकर पल्ली (भीलों का निवास स्थान) का स्वामी था । कालकभील ने चंदना इसे ही सौंपी थी । यह प्रथम तो चंदना को देखकर उस पर मोहित हुआ, किंतु माता के कुपित होने पर इसने चंदना अपने मित्र मित्रवीर को दी और वह उसे सेठ वृषभदत्त के पास ले गया । महापुराण 75.45-50