सुयशोदत्त: Difference between revisions
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<p> काशी देश की श्रावस्ती नगरी का मंत्री । इसने कारण पाकर जिनदीक्षा धारण कर ली थी । किसी व्याध ने इसे पूजा के किए आयी स्त्रियों से घिरा हुआ देखकर कर्कश वचन कहे थे । उन वचनों को सुनकर इसके मन में क्रोध उत्पन्न हो गया था । इसी क्रोध कषाय के कारण यह कापिष्ठ स्वर्ग का देव न होकर ज्योतिष्क देव हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.317-325 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> काशी देश की श्रावस्ती नगरी का मंत्री । इसने कारण पाकर जिनदीक्षा धारण कर ली थी । किसी व्याध ने इसे पूजा के किए आयी स्त्रियों से घिरा हुआ देखकर कर्कश वचन कहे थे । उन वचनों को सुनकर इसके मन में क्रोध उत्पन्न हो गया था । इसी क्रोध कषाय के कारण यह कापिष्ठ स्वर्ग का देव न होकर ज्योतिष्क देव हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.317-325 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
काशी देश की श्रावस्ती नगरी का मंत्री । इसने कारण पाकर जिनदीक्षा धारण कर ली थी । किसी व्याध ने इसे पूजा के किए आयी स्त्रियों से घिरा हुआ देखकर कर्कश वचन कहे थे । उन वचनों को सुनकर इसके मन में क्रोध उत्पन्न हो गया था । इसी क्रोध कषाय के कारण यह कापिष्ठ स्वर्ग का देव न होकर ज्योतिष्क देव हुआ । पद्मपुराण 6.317-325