सूर्यप्रज्ञप्ति: Difference between revisions
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अंग श्रुत का एक भेद-देखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]। | अंग श्रुत का एक भेद-देखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]। | ||
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<p> अंगश्रुत का एक भेद । दृष्टिवाद अंग के प्रथम भेद परिकर्म में पाँच प्रज्ञप्तियों का वर्णन है जिनमें यह दूसरी प्रज्ञप्ति है । इसमें पाँच लाख तीन हजार पदों के द्वारा सूर्य के वैभव का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 62, 64 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अंगश्रुत का एक भेद । दृष्टिवाद अंग के प्रथम भेद परिकर्म में पाँच प्रज्ञप्तियों का वर्णन है जिनमें यह दूसरी प्रज्ञप्ति है । इसमें पाँच लाख तीन हजार पदों के द्वारा सूर्य के वैभव का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 62, 64 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
अंग श्रुत का एक भेद-देखें श्रुतज्ञान - III।
पुराणकोष से
अंगश्रुत का एक भेद । दृष्टिवाद अंग के प्रथम भेद परिकर्म में पाँच प्रज्ञप्तियों का वर्णन है जिनमें यह दूसरी प्रज्ञप्ति है । इसमें पाँच लाख तीन हजार पदों के द्वारा सूर्य के वैभव का वर्णन किया गया है । हरिवंशपुराण 10. 62, 64