स्थितिबंध: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> कर्मबंध का एक भेद । ऐसा बंध होने पर कर्म अपने काल की मर्यादा तक रहते हैं । यह बंध कषाय के निमित्त से होता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.254, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 39.2, 58.203, 210, 214 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> कर्मबंध का एक भेद । ऐसा बंध होने पर कर्म अपने काल की मर्यादा तक रहते हैं । यह बंध कषाय के निमित्त से होता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.254, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 39.2, 58.203, 210, 214 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:59, 14 November 2020
कर्मबंध का एक भेद । ऐसा बंध होने पर कर्म अपने काल की मर्यादा तक रहते हैं । यह बंध कषाय के निमित्त से होता है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण 39.2, 58.203, 210, 214