स्पर्शनक्रिया: Difference between revisions
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<p> सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिंतन करना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.70 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिंतन करना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.70 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिंतन करना । हरिवंशपुराण 58.70