हा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> प्रथम पाँच कुलकरों के समय की एक दंड व्यवस्था । इसमें अपराधियों को ‘‘खेद है कि तुमने ऐसा अपराध किया’’ दंड स्वरूप ऐसा कहा जाता था । <span class="GRef"> महापुराण 3. 214 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> प्रथम पाँच कुलकरों के समय की एक दंड व्यवस्था । इसमें अपराधियों को ‘‘खेद है कि तुमने ऐसा अपराध किया’’ दंड स्वरूप ऐसा कहा जाता था । <span class="GRef"> महापुराण 3. 214 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:59, 14 November 2020
प्रथम पाँच कुलकरों के समय की एक दंड व्यवस्था । इसमें अपराधियों को ‘‘खेद है कि तुमने ऐसा अपराध किया’’ दंड स्वरूप ऐसा कहा जाता था । महापुराण 3. 214