श्रेयांस: Difference between revisions
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{{TirthankarInfo | |||
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|image = | |||
| Tirthankar-Number = 11 | |||
| Tirthankar-Name = श्रेयांस | |||
| PurvManushyaBhav = नलिनप्रभ | |||
| PurvManushyaBhavTitle = मण्डलेश्वर | |||
| PurvManushyaBhavFather = अभयानन्द | |||
| PurvManushyaBhavCity = पुष्कर.वि.क्षेमपुरी | |||
| PurvDevBhav = पुष्पोत्तर | |||
| BirthCity = सिंहपुर | |||
| Chihn = गैंडा | |||
| Yaksha = कुमार | |||
| Yakshini = महाकाली | |||
| Father = विष्णु | |||
| Mother = सुनन्दा | |||
| Vansh = इक्ष्वाकु इक्ष्वाकु | |||
| GarbhDate = ज्येष्ठ कृष्ण 6 | |||
| Garbh-Nakshatra = श्रवण | |||
| Garbh-Period = प्रात: | |||
| BirthDate = फाल्गुन कृष्ण 11 | |||
| Birth-Nakshatra = श्रवण | |||
| Birth-Yog = विष्णु | |||
| Height = 80 धनुष | |||
| Color = स्वर्ण | |||
| VairagyaReason = पतझड़ | |||
| Diksha-Date = फाल्गुन कृष्ण 11 | |||
| Diksha-Nakshatra = श्रवण | |||
| Diksha-Period = पूर्वाह्न | |||
| Diksha-Upvaas = तृतीय भक्त | |||
| Diksha-Van = मनोहर | |||
| Diksha-Vruksha = तेन्दु | |||
| Diksha-Sah-Dikshit = 1000 | |||
| Keval-Date = माघ कृष्ण 15 | |||
| Keval-Nakshatra = श्रवण | |||
| Keval-Period = अपराह्न | |||
| Keval-Place = सिंहनादपुर | |||
| Keval-Forest = मनोहर | |||
| Keval-Vruksha = तेन्दू | |||
| Samavasharan-Length = 7 योजन | |||
| Yog-Nivrutti-Period = 1 मास पूर्व | |||
| Nirvaan-Date = श्रावण शुक्ल 15 | |||
| Nirvaan-Nakshatra = धनिष्ठा | |||
| Nirvaan-Period = पूर्वाह्न | |||
| Nirvaan-Place = सम्मेद | |||
| Sah-Mukt = 1000 | |||
| Purvdhaari = 1300 | |||
| Shikshak = 48200 | |||
| Avadhigyaani = 6000 | |||
| Kevali = 6500 | |||
| Vikriyadhaari = 11000 | |||
| Manahparyaygyaani = 6000 | |||
| Vaadi = 5000 | |||
| All-Rishi-Count = 84000 | |||
| Gandhar-Count = 77 | |||
| Ganadhar-Main = धर्म | |||
| Aaryika-Count = 130000 | |||
| Aaryika-Main = चारणा | |||
| Shraavak-Count = 200000 | |||
| Shraavika-Count = 400000 | |||
| Life = 84 लाख वर्ष | |||
| Kumaar-Period = 21 लाख वर्ष | |||
| Raja-Vishesh = मण्डलीक | |||
| Rajya-Duration = 42 लाख वर्ष | |||
| Chhadmath-Duration = 2 वर्ष* | |||
| Kevali-Kaal = 2099998 वर्ष* | |||
| Janm-Gap = 1 करोड़ सागर +1 लाख पू.¬–(100 सागर +15026000 वर्ष) | |||
| Keval-Gap = 54 सागर 3300001 वर्ष | |||
| Nirvaan-Gap = 54 सागर | |||
| Tirth-Kaal = (54 सागर +21 लाख वर्ष) | |||
| Tirth-Gap = 58/23 | |||
| Chakravarti = ❌ | |||
| Baldev = विजय | |||
| Narayan = त्रिपृष्ठ | |||
| Pratinarayan = अश्वग्रीव | |||
| Rudra = सुप्रतिष्ठ | |||
| Shrota-Main = त्रिपृष्ठ | |||
}} | |||
<span class="HindiText"><span class="GRef"> महापुराण/ </span>सर्ग/श्लोक - पूर्व के दसवें भव में धातकीखंड में एक गृहस्थ की पुत्री थी। पुण्य के प्रभाव से नवमें भव में वणिक् सुता निर्नामिका हुई। वहाँ से व्रतों के प्रभाव से आठवें भव में श्रीप्रभ विमान में देवी हुई (8/185-188); (अर्थात् ऋषभदेव के पूर्व के आठवें भव में ललितांगदेव की स्त्री) सातवें भव में श्रीमती (6/60) छठे में भोगभूमि में (8/33) पाँचवें में स्वयंप्रभदेव (9/186) चौथे में केशव नामक राजकुमार (10/186) तीसरे अच्युत स्वर्ग में प्रतींद्र (10/171) दूसरे में धनदेव (11/14) पूर्व भव में अच्युत स्वर्ग में अहमिंद्र हुआ (10/172)। (इनके सर्वभव ऋषभदेव से संबंधित हैं। सर्व भवों के लिए दे.47/360-362)। वर्तमान भव में राजकुमार थे। भगवान् ऋषभदेव को आहार देकर दानप्रवृत्ति के कर्ता हुए (20/88,128) अंत में भगवान् के समवशरण में दीक्षा ग्रहण कर गणधर पद प्राप्त किया (24/174) तथा मोक्ष प्राप्त किया (47/99)।</span> | <span class="HindiText"><span class="GRef"> महापुराण/ </span>सर्ग/श्लोक - पूर्व के दसवें भव में धातकीखंड में एक गृहस्थ की पुत्री थी। पुण्य के प्रभाव से नवमें भव में वणिक् सुता निर्नामिका हुई। वहाँ से व्रतों के प्रभाव से आठवें भव में श्रीप्रभ विमान में देवी हुई (8/185-188); (अर्थात् ऋषभदेव के पूर्व के आठवें भव में ललितांगदेव की स्त्री) सातवें भव में श्रीमती (6/60) छठे में भोगभूमि में (8/33) पाँचवें में स्वयंप्रभदेव (9/186) चौथे में केशव नामक राजकुमार (10/186) तीसरे अच्युत स्वर्ग में प्रतींद्र (10/171) दूसरे में धनदेव (11/14) पूर्व भव में अच्युत स्वर्ग में अहमिंद्र हुआ (10/172)। (इनके सर्वभव ऋषभदेव से संबंधित हैं। सर्व भवों के लिए दे.47/360-362)। वर्तमान भव में राजकुमार थे। भगवान् ऋषभदेव को आहार देकर दानप्रवृत्ति के कर्ता हुए (20/88,128) अंत में भगवान् के समवशरण में दीक्षा ग्रहण कर गणधर पद प्राप्त किया (24/174) तथा मोक्ष प्राप्त किया (47/99)।</span> | ||
Revision as of 09:37, 2 April 2021
सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक | 11 |
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चिह्न | गैंडा |
पिता | विष्णु |
माता | सुनन्दा |
वंश | इक्ष्वाकु इक्ष्वाकु |
उत्सेध (ऊँचाई) | 80 धनुष |
वर्ण | स्वर्ण |
आयु | 84 लाख वर्ष |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव | नलिनप्रभ |
---|---|
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे | मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता | अभयानन्द |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर | पुष्कर.वि.क्षेमपुरी |
पूर्व भव की देव पर्याय | पुष्पोत्तर |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि | ज्येष्ठ कृष्ण 6 |
---|---|
गर्भ-नक्षत्र | श्रवण |
गर्भ-काल | प्रात: |
जन्म तिथि | फाल्गुन कृष्ण 11 |
जन्म नगरी | सिंहपुर |
जन्म नक्षत्र | श्रवण |
योग | विष्णु |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण | पतझड़ |
---|---|
दीक्षा तिथि | फाल्गुन कृष्ण 11 |
दीक्षा नक्षत्र | श्रवण |
दीक्षा काल | पूर्वाह्न |
दीक्षोपवास | तृतीय भक्त |
दीक्षा वन | मनोहर |
दीक्षा वृक्ष | तेन्दु |
सह दीक्षित | 1000 |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि | माघ कृष्ण 15 |
---|---|
केवलज्ञान नक्षत्र | श्रवण |
केवलोत्पत्ति काल | अपराह्न |
केवल स्थान | सिंहनादपुर |
केवल वन | मनोहर |
केवल वृक्ष | तेन्दू |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल | 1 मास पूर्व |
---|---|
निर्वाण तिथि | श्रावण शुक्ल 15 |
निर्वाण नक्षत्र | धनिष्ठा |
निर्वाण काल | पूर्वाह्न |
निर्वाण क्षेत्र | सम्मेद |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार | 7 योजन |
---|---|
सह मुक्त | 1000 |
पूर्वधारी | 1300 |
शिक्षक | 48200 |
अवधिज्ञानी | 6000 |
केवली | 6500 |
विक्रियाधारी | 11000 |
मन:पर्ययज्ञानी | 6000 |
वादी | 5000 |
सर्व ऋषि संख्या | 84000 |
गणधर संख्या | 77 |
मुख्य गणधर | धर्म |
आर्यिका संख्या | 130000 |
मुख्य आर्यिका | चारणा |
श्रावक संख्या | 200000 |
मुख्य श्रोता | त्रिपृष्ठ |
श्राविका संख्या | 400000 |
यक्ष | कुमार |
यक्षिणी | महाकाली |
आयु विभाग
आयु | 84 लाख वर्ष |
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कुमारकाल | 21 लाख वर्ष |
विशेषता | मण्डलीक |
राज्यकाल | 42 लाख वर्ष |
छद्मस्थ काल | 2 वर्ष* |
केवलिकाल | 2099998 वर्ष* |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल | 1 करोड़ सागर +1 लाख पू.¬–(100 सागर +15026000 वर्ष) |
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केवलोत्पत्ति अन्तराल | 54 सागर 3300001 वर्ष |
निर्वाण अन्तराल | 54 सागर |
तीर्थकाल | (54 सागर +21 लाख वर्ष) |
तीर्थ व्युच्छित्ति | 58/23 |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष | |
चक्रवर्ती | ❌ |
बलदेव | विजय |
नारायण | त्रिपृष्ठ |
प्रतिनारायण | अश्वग्रीव |
रुद्र | सुप्रतिष्ठ |
महापुराण/ सर्ग/श्लोक - पूर्व के दसवें भव में धातकीखंड में एक गृहस्थ की पुत्री थी। पुण्य के प्रभाव से नवमें भव में वणिक् सुता निर्नामिका हुई। वहाँ से व्रतों के प्रभाव से आठवें भव में श्रीप्रभ विमान में देवी हुई (8/185-188); (अर्थात् ऋषभदेव के पूर्व के आठवें भव में ललितांगदेव की स्त्री) सातवें भव में श्रीमती (6/60) छठे में भोगभूमि में (8/33) पाँचवें में स्वयंप्रभदेव (9/186) चौथे में केशव नामक राजकुमार (10/186) तीसरे अच्युत स्वर्ग में प्रतींद्र (10/171) दूसरे में धनदेव (11/14) पूर्व भव में अच्युत स्वर्ग में अहमिंद्र हुआ (10/172)। (इनके सर्वभव ऋषभदेव से संबंधित हैं। सर्व भवों के लिए दे.47/360-362)। वर्तमान भव में राजकुमार थे। भगवान् ऋषभदेव को आहार देकर दानप्रवृत्ति के कर्ता हुए (20/88,128) अंत में भगवान् के समवशरण में दीक्षा ग्रहण कर गणधर पद प्राप्त किया (24/174) तथा मोक्ष प्राप्त किया (47/99)।