हरिवाहन: Difference between revisions
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< | <span class="HindiText"> (1) विजयनगर के राजा महानंद और रानी वसंतसेना का पुत्र । यह अप्रत्याख्यानावरणमान कषाय के उदय से माता-पिता का भी आदर नहीं करता था । यह आयु के अंत में पत्थर के खंभे से टकरा कर आर्तध्यान से मरा और सूकर हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 8.227-229 </span></span><br /> | ||
< | <span class="HindiText"> (2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में नंदपुर नगर के राजा हरिषेण और रानी श्रीकांता का पुत्र । धातकीखंड द्वीप के भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के मधुपुर नगर के राजा धनंजय की पुत्री धनश्री ने भरतक्षेत्र के अयोध्यानगर में आयोजित अपने स्वयंवर में आये इसी राजकुमार के गले में वरमाला डाली थी । अयोध्या के राजकुमार सुदत्त ने इसे मार डाला था और इसको पत्नी धनश्री को अपनी पत्नी बना ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.252-257, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.135-136 </span></span><br /> | ||
< | <span class="HindiText"> (3) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के निबासी महाबल विद्याधर तथा ज्योतिर्माला का पुत्र । यह शतबली का भाई था । दोनों भाइयों में विरोध हो जाने से शतबली ने इसे नगर से निकाल दिया था । कमने भगली देश में श्रीधर्म और अनंतवीर्य चारण ऋद्धिधारी मुनियों के दर्शन करके उनसे दीक्षा ले ली थी । अंत में यह सल्लेखनापूर्वक मरकर ऐशान स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.17-21 </span></span><br /> | ||
< | <span class="HindiText"> (4) महेंद्र नगर का एक विद्याधर राजकुमार । भरतक्षेत्र के चंदनपुर नगर के राजा महेंद्र की पुत्री कनकमाला ने अपने स्वयंवर में आये इसी राजकुमार का वरण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.405-406, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.78-82 </span></span><br /> | ||
< | <span class="HindiText"> (5) मथुरा नगरी का राजा । इसकी रानी माधवी और पुत्र मधु था । यह केकया के स्वयंवर में सम्मिलित हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 12.6-7, 54, 24-87 </span></span><br /> | ||
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Revision as of 08:02, 24 May 2021
(1) विजयनगर के राजा महानंद और रानी वसंतसेना का पुत्र । यह अप्रत्याख्यानावरणमान कषाय के उदय से माता-पिता का भी आदर नहीं करता था । यह आयु के अंत में पत्थर के खंभे से टकरा कर आर्तध्यान से मरा और सूकर हुआ । महापुराण 8.227-229
(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में नंदपुर नगर के राजा हरिषेण और रानी श्रीकांता का पुत्र । धातकीखंड द्वीप के भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के मधुपुर नगर के राजा धनंजय की पुत्री धनश्री ने भरतक्षेत्र के अयोध्यानगर में आयोजित अपने स्वयंवर में आये इसी राजकुमार के गले में वरमाला डाली थी । अयोध्या के राजकुमार सुदत्त ने इसे मार डाला था और इसको पत्नी धनश्री को अपनी पत्नी बना ली थी । महापुराण 71.252-257, हरिवंशपुराण 33.135-136
(3) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के निबासी महाबल विद्याधर तथा ज्योतिर्माला का पुत्र । यह शतबली का भाई था । दोनों भाइयों में विरोध हो जाने से शतबली ने इसे नगर से निकाल दिया था । कमने भगली देश में श्रीधर्म और अनंतवीर्य चारण ऋद्धिधारी मुनियों के दर्शन करके उनसे दीक्षा ले ली थी । अंत में यह सल्लेखनापूर्वक मरकर ऐशान स्वर्ग में देव हुआ । हरिवंशपुराण 60.17-21
(4) महेंद्र नगर का एक विद्याधर राजकुमार । भरतक्षेत्र के चंदनपुर नगर के राजा महेंद्र की पुत्री कनकमाला ने अपने स्वयंवर में आये इसी राजकुमार का वरण किया था । महापुराण 71.405-406, हरिवंशपुराण 60.78-82
(5) मथुरा नगरी का राजा । इसकी रानी माधवी और पुत्र मधु था । यह केकया के स्वयंवर में सम्मिलित हुआ था । पद्मपुराण 12.6-7, 54, 24-87