पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 120: Difference between revisions
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<p>जाणदि पस्सदि सव्वं इच्छदि सुक्खं विभेदि दुक्खादो । (120)</p> | <p>जाणदि पस्सदि सव्वं इच्छदि सुक्खं विभेदि दुक्खादो । (120)</p> | ||
<p>कुव्वदि हिदमहिदं वा भुंजदि जीवो फलं तेसिं ॥130॥</p> | <p>कुव्वदि हिदमहिदं वा भुंजदि जीवो फलं तेसिं ॥130॥</p> | ||
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Revision as of 11:38, 20 August 2021
जाणदि पस्सदि सव्वं इच्छदि सुक्खं विभेदि दुक्खादो । (120)
कुव्वदि हिदमहिदं वा भुंजदि जीवो फलं तेसिं ॥130॥