पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 40.3: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class=" | <div class="PrakritGatha"> | ||
<p>ओहिं तहेव घेप्पदु देसं परमं च ओहिसव्वं च ।</p> | <p>ओहिं तहेव घेप्पदु देसं परमं च ओहिसव्वं च ।</p> | ||
<p>तिण्णिवि गुणेण णियमा भवेण देसं तहा णियदं ॥44॥</p> | <p>तिण्णिवि गुणेण णियमा भवेण देसं तहा णियदं ॥44॥</p> | ||
</div> | </div> |
Revision as of 11:38, 20 August 2021
ओहिं तहेव घेप्पदु देसं परमं च ओहिसव्वं च ।
तिण्णिवि गुणेण णियमा भवेण देसं तहा णियदं ॥44॥