पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 42: Difference between revisions
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<p>ण वियप्पदि णाणादो णाणी णाणाणि होंति णेगाणि । (42)</p> | <p>ण वियप्पदि णाणादो णाणी णाणाणि होंति णेगाणि । (42)</p> | ||
<p>तम्हा दु विस्सरूवं भणियं दवियत्ति णाणीहिं ॥49॥</p> | <p>तम्हा दु विस्सरूवं भणियं दवियत्ति णाणीहिं ॥49॥</p> | ||
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Revision as of 11:38, 20 August 2021
ण वियप्पदि णाणादो णाणी णाणाणि होंति णेगाणि । (42)
तम्हा दु विस्सरूवं भणियं दवियत्ति णाणीहिं ॥49॥