पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 36 - समय-व्याख्या - हिंदी: Difference between revisions
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<p>यहाँ, 'जीव का अभाव से मुक्ति है' इस बात का खण्डन किया है ।<ul><li>द्रव्य, द्रव्य-रूप से | <p>यहाँ, 'जीव का अभाव से मुक्ति है' इस बात का खण्डन किया है ।<ul><li>द्रव्य, द्रव्य-रूप से <span class="DarkFont">शाश्वत</span> है; नित्य द्रव्य में पर्यायों का प्रति-समय <span class="DarkFont">नाश</span> होता है,<li>द्रव्य, सर्वदा अभूत पर्याय-रूप से <span class="DarkFont">भावी</span> (होने योग्य, परिणामित होने योग्य) है; द्रव्य, सर्वदा भूत पर्याय-रूप से <span class="DarkFont">अभावी</span> (न होने योग्य) है,<li>द्रव्य, अन्य द्रव्यों से सदा <span class="DarkFont">शून्य</span> है; द्रव्य, स्व-द्रव्य से सदा <span class="DarkFont">अशून्य</span> है, <li>किसी जीव-द्रव्य में <span class="DarkFont">अनंत ज्ञान</span> और किसी में <span class="DarkFont">सान्त ज्ञान</span> है; किसी जीव-द्रव्य में <span class="DarkFont">अनन्त अज्ञान</span> और किसी में <span class="DarkFont">सान्त अज्ञान है</span></ul> -- यह सब, अन्यथा घटित न होता हुआ, मोक्ष में जीव के सद्भाव को प्रगट करता है ॥३६॥</p> | ||
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Latest revision as of 16:51, 24 August 2021
यहाँ, 'जीव का अभाव से मुक्ति है' इस बात का खण्डन किया है ।
- द्रव्य, द्रव्य-रूप से शाश्वत है; नित्य द्रव्य में पर्यायों का प्रति-समय नाश होता है,
- द्रव्य, सर्वदा अभूत पर्याय-रूप से भावी (होने योग्य, परिणामित होने योग्य) है; द्रव्य, सर्वदा भूत पर्याय-रूप से अभावी (न होने योग्य) है,
- द्रव्य, अन्य द्रव्यों से सदा शून्य है; द्रव्य, स्व-द्रव्य से सदा अशून्य है,
- किसी जीव-द्रव्य में अनंत ज्ञान और किसी में सान्त ज्ञान है; किसी जीव-द्रव्य में अनन्त अज्ञान और किसी में सान्त अज्ञान है