भ्रम: Difference between revisions
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Revision as of 09:24, 2 April 2022
सिद्धांतकोष से
पाँचवें नरक का दूसरा पटल ( राजवार्तिक )–देखें नरक - 5।
पुराणकोष से
पाँचवीं पृथिवी के द्वितीय प्रस्तार का इंद्रक बिल । यह नगराकार है । इसकी चारों महादिशाओं मै बत्तीस और विदिशाओं में अट्ठाईस श्रेणीबद्ध बिल है । इस इंद्रक का विस्तार सात लाख इकतालीस हजार छ: सौ छियासठ योजन और एक योजन के तीन भागों में से दो भाग प्रमाण है । इसकी जघन्य स्थिति ग्यारह सागर तथा एक सागर के पांच भागों में दो भाग प्रमाण और उक्तष्ट स्थिति बारह सागर तथा एक सागर के पाँच भागों में चार भाग प्रभाग होती है । यहाँ नारकियों की अवगाहना सत्तासी धनुष और दो हाथ प्रमाण होती है । हरिवंशपुराण 4.83, 139, 210, 286-287, 333