अभ्यागत: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef" | <span class="GRef">सागार धर्मामृत टीका / अधिकार 5/42 में उद्धृत </span><span class="SanskritText">तिथिपर्वोत्सवाः सर्वे त्यक्ता येन महात्मना। अतिथिं तं विजानीयाच्छेषमभ्यागतं विदुः।</span> | ||
<span class="HindiText">= तिथि पर्व तथा उत्सव आदि दिनों का जिस महात्मा ने त्याग किया है, अर्थात् सब तिथियाँ जिनके समान हैं, उसे अतिथि कहते हैं,और शेष व्यक्तियों को अभ्यागत कहते हैं।</span> | <span class="HindiText">= तिथि पर्व तथा उत्सव आदि दिनों का जिस महात्मा ने त्याग किया है, अर्थात् सब तिथियाँ जिनके समान हैं, उसे अतिथि कहते हैं,और शेष व्यक्तियों को अभ्यागत कहते हैं।</span> | ||
Revision as of 10:05, 7 May 2022
सागार धर्मामृत टीका / अधिकार 5/42 में उद्धृत तिथिपर्वोत्सवाः सर्वे त्यक्ता येन महात्मना। अतिथिं तं विजानीयाच्छेषमभ्यागतं विदुः। = तिथि पर्व तथा उत्सव आदि दिनों का जिस महात्मा ने त्याग किया है, अर्थात् सब तिथियाँ जिनके समान हैं, उसे अतिथि कहते हैं,और शेष व्यक्तियों को अभ्यागत कहते हैं।