कलश: Difference between revisions
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< | <span class="HindiText"> जिनाभिषेक हेतु क्षीरसागर से जल लाने के लिए देवो द्वारा व्यहृत जलपात्र । ये स्वर्णमय जल-पात्र आठ योजन गहरे और मुख पर एक योजन चौड़े होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 13.106-116 </span> | ||
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Revision as of 16:00, 18 July 2022
जिनाभिषेक हेतु क्षीरसागर से जल लाने के लिए देवो द्वारा व्यहृत जलपात्र । ये स्वर्णमय जल-पात्र आठ योजन गहरे और मुख पर एक योजन चौड़े होते हैं । महापुराण 13.106-116