किन्नर: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) इस जाति के व्यंतर देव । ये समतल भूमि से बीन योजन ऊपर विजयार्ध पर्वत के इसी नाम के नगर में रहते हैं । तीर्थंकरों के कल्याणोत्सवों में मांगलिक गीत गाते हुए ये देवसेना के आगे-आगे चलते हैं ।</br> <span class="GRef"> महापुराण 17.79-88,22.21, पद्मपुराण 3. 309-310, 7.118, हरिवंशपुराण 8.158, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.59-63 </span> <span class="HindiText"></br>(2) एक नगर । किन्नर जाति के व्यंतर देवों की निवास भूमि । नमिकुमार का मामा यक्षमाली इसी नगर का राजा था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 372, | <span class="HindiText"> (1) इस जाति के व्यंतर देव । ये समतल भूमि से बीन योजन ऊपर विजयार्ध पर्वत के इसी नाम के नगर में रहते हैं । तीर्थंकरों के कल्याणोत्सवों में मांगलिक गीत गाते हुए ये देवसेना के आगे-आगे चलते हैं ।</br> <span class="GRef"> महापुराण 17.79-88,22.21, पद्मपुराण 3. 309-310, 7.118, हरिवंशपुराण 8.158, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.59-63 </span> <span class="HindiText"></br>(2) एक नगर । किन्नर जाति के व्यंतर देवों की निवास भूमि । नमिकुमार का मामा यक्षमाली इसी नगर का राजा था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 372, धपु0 7.118 | ||
Revision as of 16:06, 25 July 2022
(1) इस जाति के व्यंतर देव । ये समतल भूमि से बीन योजन ऊपर विजयार्ध पर्वत के इसी नाम के नगर में रहते हैं । तीर्थंकरों के कल्याणोत्सवों में मांगलिक गीत गाते हुए ये देवसेना के आगे-आगे चलते हैं ।
महापुराण 17.79-88,22.21, पद्मपुराण 3. 309-310, 7.118, हरिवंशपुराण 8.158, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.59-63
(2) एक नगर । किन्नर जाति के व्यंतर देवों की निवास भूमि । नमिकुमार का मामा यक्षमाली इसी नगर का राजा था । महापुराण 71. 372, धपु0 7.118