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विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर—देखें [[ विद्याधर ]]। | <span class="HindiText">विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर—देखें [[ विद्याधर ]]। | ||
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< | <span class="HindiText"> (1) अष्टापद नाम से विख्यात-वर्तमान हिमालय से आगे का एक पर्वत । यह तीर्थंकर वृषभदेव की निर्वाणभूमि है । चक्रवर्ती भरत ने यहाँ महारत्नों से जटित चौबीस अर्हत् मंदिर बनवाये थे । पाँच सौ धनुष ऊँची वृषभ जिनेश की प्रतिमा भी उन्होंने यही स्थापित करायी थी । <span class="GRef"> महापुराण 1.149, 4.110, 33. 11, 56, 48.107, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 4.130, 98.63-65, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13.6 </span></br> | ||
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Revision as of 16:45, 28 July 2022
सिद्धांतकोष से
विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर—देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) अष्टापद नाम से विख्यात-वर्तमान हिमालय से आगे का एक पर्वत । यह तीर्थंकर वृषभदेव की निर्वाणभूमि है । चक्रवर्ती भरत ने यहाँ महारत्नों से जटित चौबीस अर्हत् मंदिर बनवाये थे । पाँच सौ धनुष ऊँची वृषभ जिनेश की प्रतिमा भी उन्होंने यही स्थापित करायी थी । महापुराण 1.149, 4.110, 33. 11, 56, 48.107, पद्मपुराण 4.130, 98.63-65, हरिवंशपुराण 13.6
(2) एक वन । हिमालय प्रदेश के वन इसी वन के अंतर्गत है । महापुराण 47.258