अष्ट प्रवचन माता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>देखें [[ प्रवचन ]]।</p> | <p> आठ प्रवचन माता से आठ भेद चारित्र के होते हैं - परिणाम के संयोग से पाँच समिति, तीन गुप्तियों में न्यायरूप प्रवृत्ति वह आठ भेद वाला चारित्राचार है ऐसा जानना ।297।</p> | ||
<p> इन्हें माता कहने का कारण : </p> | |||
<p> ये अष्ट प्रवचनमाता मुनि के ज्ञान, दर्शन और चारित्र की सदा ऐसे रक्षा करती हैं जैसे कि पुत्र का हित करने में सावधान माता अपायों से उसको बचाती है । </p> | |||
<p> मोक्षमार्ग में अष्ट प्रवचन माता का ज्ञान ही पर्याप्त है। </p> | |||
<p>देखें [[ प्रवचन ]]।</p> | |||
Line 9: | Line 18: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 16:43, 5 August 2022
आठ प्रवचन माता से आठ भेद चारित्र के होते हैं - परिणाम के संयोग से पाँच समिति, तीन गुप्तियों में न्यायरूप प्रवृत्ति वह आठ भेद वाला चारित्राचार है ऐसा जानना ।297।
इन्हें माता कहने का कारण :
ये अष्ट प्रवचनमाता मुनि के ज्ञान, दर्शन और चारित्र की सदा ऐसे रक्षा करती हैं जैसे कि पुत्र का हित करने में सावधान माता अपायों से उसको बचाती है ।
मोक्षमार्ग में अष्ट प्रवचन माता का ज्ञान ही पर्याप्त है।
देखें प्रवचन ।