|
|
Line 23: |
Line 23: |
| [[Category: क]] | | [[Category: क]] |
| [[Category: इतिहास]] | | [[Category: इतिहास]] |
| | [[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 08:35, 13 August 2022
= सिद्धांतकोष से
पांडवपुराण/17/ श्लोक—चुलिका नगर के राजा चुलिक का पुत्र द्रौपदी पर मोहित हो गया था (245) तब भीम (पांडव) ने द्रौपदी का रूप धर इसको मारा था (278−295)। अथवा (हरिवंशपुराण में) भीम द्वारा पीटा जाने पर विरक्त हो दीक्षा धारण कर ली। अंत में एक देव द्वारा परीक्षा लेने पर चित्त की स्थिरता से मोक्ष प्राप्त किया। ( हरिवंशपुराण/46/34 )
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ
पुराणकोष से
(1) चूलिका नगरी के राजा चूलिक और उसकी पत्नी विकच के सौ पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र । यह विराट् नगर में द्रौपदी पर मोहित हो गया था । द्रौपदी ने इसकी यह धृष्टता भीम को बतलायी जिससे कुपित होकर द्रौपदी का रूप धरकर भीम ने इसे मुक्कों के प्रहार से खूब पीटा । इस घटना से विरक्त होकर इसने रतिवर्धन मुनि के पास दीक्षा धारण कर ली । एक यक्ष ने इसके चित्त की विशुद्धि की परीक्षा ली । इस परीक्षा में यह सफल हुआ । मन की शुद्धि के फलस्वरूप इसे अवधिज्ञान उत्पन्न हो गया । इसके पूर्व पांचवें भव में यह क्षुद्र नामक म्लेच्छ था, चौथे पूर्वभव में यह धनदेव वैश्य का कुमारदेव नाम का पुत्र हुआ, तीसरे पूर्वभव में यह अपनी माता के जीव का कुत्ता हुआ और दूसरे पूर्वभव में यह सित नामक तापस का मधु नाम का पुत्र हुआ । इसने एक मुनि से दीक्षा ली जिसके फलस्वरूप इसे पहले पूर्वभव में स्वर्ग मिला वहाँ से च्युत होकर यह इस पर्याय को प्राप्त हुआ । हरिवंशपुराण 46.23-25 पांडव पुराण मे इसका वध भीम के द्वारा हुआ बताया गया है । पांडवपुराण 17.289-295 (2) एक वंश । भुजंगेश नगरी के कीचक मारे गये थे । महापुराण 72.215 <
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ