एकेंद्रिय: Difference between revisions
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<p>वे संसारी जीव जिनके एक स्पर्श इंद्रिय मात्र हो जैसे पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक इन पाँचोंमें जबतक जीव रहता है तबतक वे सचित्त, फिर जीव निकल जानेपर ये अचित्त कहलाते हैं। एकेंद्रिय जीव छूकर के जानते हैं व इसीसे काम करते हैं। इनके स्पर्शइंद्रिय, शरीरबल, आयु, श्वासोछ्वास ऐसे चार प्राण होते हैं।</p> | <p>वे संसारी जीव जिनके एक "स्पर्श" इंद्रिय मात्र हो जैसे पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक इन पाँचोंमें जबतक जीव रहता है तबतक वे सचित्त, फिर जीव निकल जानेपर ये अचित्त कहलाते हैं। एकेंद्रिय जीव छूकर के जानते हैं व इसीसे काम करते हैं। इनके स्पर्शइंद्रिय, शरीरबल, आयु, श्वासोछ्वास ऐसे चार प्राण होते हैं।</p> | ||
<p>- देखें [[ बृ ]]जैन शब्दा. द्वि. खंड।</p> | <p>- देखें [[ बृ ]]जैन शब्दा. द्वि. खंड।</p> | ||
Revision as of 09:12, 13 August 2022
वे संसारी जीव जिनके एक "स्पर्श" इंद्रिय मात्र हो जैसे पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक इन पाँचोंमें जबतक जीव रहता है तबतक वे सचित्त, फिर जीव निकल जानेपर ये अचित्त कहलाते हैं। एकेंद्रिय जीव छूकर के जानते हैं व इसीसे काम करते हैं। इनके स्पर्शइंद्रिय, शरीरबल, आयु, श्वासोछ्वास ऐसे चार प्राण होते हैं।
- देखें बृ जैन शब्दा. द्वि. खंड।