आरण: Difference between revisions
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1. कल्पवासी देवोंका एक भेद व उनका अवस्थान - देखें [[ स्वर्ग#3.5 | स्वर्ग - 3.5]]; | |||
2. स्वर्गोंका पंद्रहवाँ कल्प - देखें [[ स्वर्ग#5.2 | स्वर्ग - 5.2]]; | |||
3. आरण स्वर्गका द्वितीय पटल व इंद्रक विमान - देखें [[ स्वर्ग#5.3 | स्वर्ग - 5.3]]। | |||
Revision as of 15:54, 14 August 2022
सिद्धांतकोष से
1. कल्पवासी देवोंका एक भेद व उनका अवस्थान - देखें स्वर्ग - 3.5;
2. स्वर्गोंका पंद्रहवाँ कल्प - देखें स्वर्ग - 5.2;
3. आरण स्वर्गका द्वितीय पटल व इंद्रक विमान - देखें स्वर्ग - 5.3।
पुराणकोष से
(1) अच्युत स्वर्ग के तीन इंद्रक विमानों में दूसरा विमान । हरिवंशपुराण 6.51
(2) ऊर्ध्वलोक में स्थित 16 स्वर्गों में पंद्रहवां स्वर्ग (कल्प) । राजा पद्मगुल्म को इस स्वर्ग में बाईस सागर की आयु मिली थी, शरीर तीन हाथ ऊँचा था, शुक्ल लेश्या थी, ग्यारह मास में वह श्वास लेता था, बाईस हजार वर्ष में मानसिक आहार लेता था, मानसिक प्रवीचार से युक्त प्राक्राम्य आदि आठ गुणों का धारक था, अवधिज्ञानी था, छठें नरक तक की बात अवधिज्ञान से जानता था और उसको कोई विकार नहीं था । महापुराण 56. 20-22, पद्मपुराण 105.166-169, हरिवंशपुराण 4.16, 6.38