क्षेमंकर: Difference between revisions
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<li> लौकांतिक देवों का एक भेद–देखें [[ लौकांतिक ]]।</li> | <li> लौकांतिक देवों का एक भेद–देखें [[ लौकांतिक ]]।</li> |
Revision as of 16:25, 5 September 2022
सिद्धांतकोष से
- यह तृतीय कुलकर हुए हैं। विशेष परिचय–देखें सोलह कुलकर निर्देश।
- विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- लौकांतिक देवों का एक भेद–देखें लौकांतिक ।
- लौकांतिक देवों का अवस्थान–देखें लोक - 7।
पुराणकोष से
(1) तीसरे मनु/कुलकर इनकी आयु अटट वर्ष प्रमाण थी । शरीर आठ सौ धनुष की अवगाहना से युक्त था । ये सन्मति कुलकर के पुत्र थे । इन्होंने सिंह व्याघ्र आदि से भयभीत प्रजा के भय को दूर किया । इसीलिए उनको यह नाम मिला ये क्षेमंधर के पिता थे । महापुराण 3.90-100, पद्मपुराण 3.78, हरिवंशपुराण 7.150-152, पांडवपुराण 2. 104-105(2) देशभूषण और कुलभूषण का पिता । यह सिद्धार्थ मगर का राजा था । कमलोत्सवा इसी की पुत्री थी । जब इसके दोनों पुत्र विरक्त होकर दीक्षित हो गये तो इसने शोकाकुल होकर अनशन व्रत ले लिया और मरकर भवनवासी देवों में सुवर्ण कुमार जाति के देवों का अधिपति महालोचन नाम का देव हुआ । पद्मपुराण 39.158-178
(3) विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर । महापुराण 19. 50, 53
(4) जंबूद्वीपस्थ पूर्वविदेह क्षेत्र के रत्नसंचय नगर के राजा और वज्रायुध के पिता । जब इन्हें वैराग्य हुआ तो लौकांतिक देव इनकी स्तुति के लिए आये । वज्रायुध को राज्य देकर ये दीक्षित हुए और इन्होंने तप करके केवलज्ञान प्राप्त किया । इन्हें भट्टारक भी कहा गया है । ये पुंडरीकिणी नगरी के राजा प्रियमित्र चक्रवर्ती के धर्मोपदेशक और दीक्षागुरु थे । महापुराण 63. 37-39, 112, 73.34-35 74. 236-240, पांडवपुराण 5.12-16, 30-31, वीरवर्द्धमान चरित्र 5.74-107
(5) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 173